राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार में हुआ जल, वन और जन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार में हुआ जल, वन और जन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
कोटद्वार- राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार में एक जल, वन और जन ( जल स्रोत और वन संरक्षण में जनसहभागिता) पर कार्यशाला का आयोजन किया। पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर के प्राचार्य प्रो. एम. सी. पाण्डेय, जीएसटी कमिश्नर कोटद्वार मितेश्वर आनंद और एक्शन जल संस्थान अभिषेक वर्मा ने कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प और दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य प्रो. आशा देवी और मंच संचालन समाजशास्त्र विभाग प्रभारी डॉ. संदीप कुमार ने किया। महाविद्यालय के संगीत विभाग प्रभारी डॉ चंद्र प्रभा भारती के निर्देशन में छात्र- छात्राओं ने सभी अतिथियों के स्वागत के लिए मधुर स्वागत गीत की प्रस्तुति दी गई।
जी एस टी कमिश्नर मितेश्वर आनंद ने सभी अतिथियों का व्यक्तिगत परिचय देते हुए कहा कि आज की कार्यशाला, छात्र छात्राओं के लिए बहुत लाभकारी होगी। विश्व ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रहा है आवश्यकता है पर्यावरण संरक्षण की। हम पेड़ पौधे का रोपण जरूर करते हैं लेकिन इसका संरक्षण करना भी हमारी ही जिम्मेदारी है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. एम. सी. पाण्डेय ने कहा कि जल और वन एक महत्वपूर्ण संसाधन है हमें इसके संरक्षण पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने की जरूरत है । जब पर्यावरण संरक्षण होगा जभी हम भी सुरक्षित होंगे। जल्दी ही महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. डी. एस. नेगी से वार्ता कर रामनगर और कोटद्वार महाविद्यालय में मध्य पर्यावरण को लेकर कार्य किए जाएंगे।
पर्यावरणविद राजेश भट्ट ने विभिन्न प्रकारों के पक्षियों की आवाज़ें निकालक अपनी प्रस्तुति दी। राजेश भट्ट जी ने पक्षियों की आवाज़ें निकालक बताया कि कैसे जंगल में पक्षी खतरे से बचने के लिए आवाजे निकालकर सचेत करते है, और कैसे वो खुशी में आवाज़ भी निकलते हैं। श्री भट्ट जी के द्वारा गौरैया, बंदर, हॉर्नबिल, पोता आदि पक्षियों की आवाज़ें निकली गई।
हिमांशु बहुखंडी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण पर गोष्ठी और कार्यशाला जब ही सार्थक होगी जब हम इसमें बताई बातों को अपने जीवन में अंगीकार करे। आज पहाड़ों मृदा अपरदन भी भी पर्यावरण की एक गंभीर समस्या बना हुआ है। हमें इस तरफ भी अपना ध्यान देना होगा। अभिषेक वर्मा ने कहा कि स्वच्छ जल सीमित मात्रा में इस पृथ्वी पर उपलब्ध है और इस सीमित मात्रा में उपलब्ध जल को हमें संरक्षित रखना है हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने हैं पशु पक्षियों जीव जंतुओं और वनों का संरक्षण पर्यावरण को बनाए रखने में अति आवश्यक होता है।
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने मैती आंदोलन के विषय में विस्तृत चर्चा की और कहां की कैसे जब बेटी की शादी होती है, क्योंकि बेटी का लगाव जुड़ाव स्नेह मां से होता है और विवाह के पश्चात वह पेड़ लगाते हैं तो मायके वाले बेटी की तरह उसे पेड़ का संरक्षण करते हैं इन्हीं कार्यों को देखकर कनाडा की प्रधानमंत्री और विभिन्न विभिन्न देशों के अध्यक्षों ने मैती आंदोलन की सराहना की और अपने देश में भी विवाह के समय पेड़ लगाना कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया ।1995 में शुरू मैती आंदोलन आज विश्व का जन का आंदोलन बन गया है जो शादी में भावनात्मक लगाव का प्रतीक बन गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से कल्याण सिंह रावत को पत्र भेज कर इस आंदोलन की सराहना की गई। कहा कि आज हम पौधा लगाते हैं, पौधा लगाने भर से काम नहीं चलता है। इसके संरक्षण की भी किसी ना किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी तभी यह एक पेड़ के रूप में आएगा और पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाएगा।
महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर आशा देवी ने पर्यावरण संरक्षण पर सभी को प्रतिज्ञा भी दिलाई गई कि वह पर्यावरण संरक्षण अपने जीवन का अंग बनाकर कार्य करेंगे। सभी आमंत्रित अतिथियों का इस कार्यालय में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद भी दिया। और कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी को बधाई दी। महाविद्यालय के प्रोफेसर बी. सी.शाह (एन सी सी अधिकारी ) ने सभी सम्मानित अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम के बाद महाविद्यालय में कल्याण सिंह रावत ने फलदार पौधा भी लगाया।
कार्यशाला का समापन सफलतापूर्वक राष्ट्रगान के साथ हुआ। कार्यक्रम में डॉ. जुनिश कुमार, डॉ. नंदी गाड़िया, डॉ. ऋचा जैन, डॉ. सुनीता नौटियाल, डॉ. डी.बी. सिंह, डॉ. मौर्य, डॉ कपिल थपियाल, डॉ. श्रद्धा सिंह, डॉ. चंद्र प्रभा भारती, नितिन डोमेन, एसपी सुंद्रियाल, विनीत शर्मा और एन सी सी कैडेट्स, पारस नेगी, मनीषा नेगी, संजना रावत, कोमल, लक्ष्मी, संतोष, काजल, ज्योति आदि छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।