एसजीआरआर एजुकेशन मिशन के वार्षिक अधिवेशन में विभिन्न राज्यों के 100 से अधिक प्रधानाचार्यों ने किया प्रतिभाग, स्कूलों व बच्चों के सर्वांगीण विकास में प्रधानाचार्यों की भूमिका व उत्तरदायित्वों पर हुआ मंथन
एसजीआरआर एजुकेशन मिशन के वार्षिक अधिवेशन में विभिन्न राज्यों के 100 से अधिक प्रधानाचार्यों ने किया प्रतिभाग, स्कूलों व बच्चों के सर्वांगीण विकास में प्रधानाचार्यों की भूमिका व उत्तरदायित्वों पर हुआ मंथन
शिक्षा की गुणवत्ता, स्कूलों में प्रधानाचार्यों की महत्वपूर्णं भूमिका व स्कूलों को रोल माॅडल बनाए जाने पर हुआ मंथन
देहरादून- स्कूली शिक्षा को और आधुनिक और प्रखर बनाने में प्रधानाचार्यों की भूमिका सबसे महत्वपूर्णं है। वर्तमान परिवेश में आधुनिक शिक्षा में शिक्षाव्दिों को नित नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विद्यालय स्तर पर एक प्रधानाचार्य की भूमिका बेहद महत्वपूर्णं होती है। प्रधानाचार्य एक स्कूल का नीति निर्धारक होता है। अपनी सही सोच व सही निर्णय लेकर वह एक स्कूल को आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में शिखर तक पहुंचा सकता है। प्रधानाचार्य की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अध्यापकों व छात्र-छात्राओं के साथ समन्वय बनाकर उनकी समस्याओं को दूर करे, साथ ही देश-विदेश की स्कूली शिक्षा में हो रहे क्रांतिकारी बदलावों से उन्हें रूबरू भी करवाता है। ऐसे कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। अवसर था एसजीआरआर एजुकेशन मिशन के स्कूलों के वार्षिक अधिवेशन का। कार्यक्रम में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली के एसजीआरआर स्कूलों के 100 से अधिक स्कूलों के प्रधानाचार्याें ने भाग लिया। कार्यक्रम प्रधानाचार्यों का एक नया विज़न देखने को मिला व यह समझने का अवसर मिला कि प्रधानाचार्य कुछ गुणों का विकास कर किन किन आयामों में अपनी उपयोगिता साबित कर सकते हैं व अपने स्कूल को सर्वश्रेष्ठ स्कूल बना सकते हैं।
एसजीआरआर एजुकेशन मिशन के आजीवन सदस्य एच.पी.भट्ट ने कहा एसजीआरआर एजुकेशन मिशन के अन्तर्गत संचालित स्कूलों का मॉडल प्रधानाचार्यों के अनुकूल है। प्रधानाचार्य एक कुशल प्रशासक की तरह अपने सकारात्मक विचारों व निर्णयों को क्रियान्वित करवाकर स्कूल व छात्र हितों में निर्णय ले सकता है।
वीना रावत, आजीवन सदस्य, एसजीआरआर एजुकेशन मिशन ने कहा कि मिशन के चेयरमैन महंत देवेन्द्र दास जी महाराज कुशल प्रशासक के रूप में हम सभी के प्रेरणास्रोत हैं। यही कारण है कि एसजीआरआर के स्कूलों को सही दिशा प्राप्त होती है, स्कूल के प्रधानाचार्य शिक्षण प्रशासनिक कार्यों में सुगम समन्वय बनाकर प्रगतिशील कार्यों में अपना शत प्रतिशत योगदान दे पाते हैं। कविता सिंह, प्रधानाचार्या, एसजीआरआर पब्लिक स्कूल तालाब ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा में जानकारी दी। एनसीएफ के अन्र्तगत एक शिक्षक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बच्चों के सीखने में सहायक हो। जिससे बच्चों को ज्ञान का निर्माण करने में मदद मिले।